लव की आरजू - 1 Aarzoo.. द्वारा फिक्शन कहानी में हिंदी पीडीएफ

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लव की आरजू - 1

अर्ज किया है,

निगाहे क्या खूब है,
सुकु छाया हुआ है,
हस्त की रेखा क्या कमाल है,
कोमल से पंख है,
खुबसूरती क्या लाजवाब है,दिल पे धार है..

सुबह की हल्की सी किरने खिड़की के अंदर दस्तक ले रही थी और आरजू की आंखों के सामने उसे उठाने की कोशिश कर रही थी।बाहर से पंखी भी शोर कर रहे थे।प्यारी सी आवाज भी नींद में खोए हुए इंसान को शोर लगती है।आरजू शोर से पक गई तो करवट बदल कर फिरसे सो गई और किसी हसीन ख्वाब में खो गई।बिखरे बाल जो उसकी आंखो और होठों के पास आ रहे थे उसकी खूबसूरती को और बढ़ा रहे थे।उसकी नींद में हल्की सी मुस्कान किसी की जान ले ले।उसकी आंखों की पलके भी काली और घनी थी।
हम और कुछ उनके बारे में लिखे उससे पहले ही,

आप अभी तक जगी नही चुड़ैल?चलिए जल्दी से उठ जाइए कितने काम है अभी!!और आप सो रहे है वो भी इतने आराम से और याद भी है आपको की आज क्या है?

और आरजू उस भूतनी को जवाब देती है, ओय हम कहा आराम से सो रहे है ये पंखी का शोर खत्म हो तब ही तो आराम से सो सके ना।और हा हमे अच्छे से याद है हमारे दी अपु के मेरे...

आरजू आगे कुछ बोल पाए उससे पहले ही शायरी बिचमे बोल उठती है ठीक है हमे भी सब पता है की आपको सब याद है अब आप बाथरूम में जाइए,नीचे अभी बहुत सा काम बाकी है और ज्यादा टाइम मत लगाइएगा,कुछ मत बोलिएगा,जल्दी से तैयार हो जाएगा,और अब हम जा रहे है आप जल्दी आइए।

इतना सब बोलते बोलते शायरी आरजू को बाथरूम में धक्का दे देती हे, और अपने आप में ही कहेती है कुंभकर्ण।

आरजू अंदर से ही चिल्लाती है अबे आप गलत मत बोलिए,कुंभकरण की बहन है क्युकी,

शायरी बीच में ही बोलती है, क्युकी कुंभकर्ण की जाती मेल होती है और हम फीमेल है।

आरजू अंदर से कहती है सही समझे।

और शायरी हस्ते हस्ते जाते जाते कहेती है,पागल चुड़ेल।

वेल,अब हम आपको थोड़ा हमारे स्टोरी के बारे में बता देते है, सबसे पहले हमारी आरजू, आरजू की बहुत सी आरजू है जो आपको आगे आगे पता चल जाएगी। आरजू का स्वभाव बहुत साफ दिल था लेकिन गुस्सा अपने नाक पर रखती है। नटखट और शरारती भी उतनी ही ज्यादा। दिखने में अप्सरा को बाजू में रख दे वैसी कहे तो निधि अग्रवाल जैसी।अपने परिवार से बेइंतिहा प्यार करती है और अपनी भूतनी को दुनिया में सबसे ज्यादा हा वो बात अलग है की जैसे सभी लड़कियों की आरजू होती है एक राजकुमार की ऐसी कही न कही उसे भी आने से पहले ही उससे प्यार करती थी लेकिन सबसे ज्यादा या कम वो तो वो अनजान शख्स के आने के बाद ही उसे पता चलेगा।

हम बता दे भूतनी मतलब हमारी शायरी उसका नाम शायरी जो आरजू की बेस्ट फ्रेंड है,आरजू सबसे ज्यादा अटैच उससे ही है।शायरी की बात करे तो थोड़ी शर्मीली लेकिन जिससे उसका पल्ला पड़े उसे माथे पे बिठादे।शायरी भी कुछ कम नहीं थी दिखने में वो बहुत सिंपल थी लेकिन दिखने में अव्वल थी बिल्कुल आरजू की तरह लेकिन हा वो आरजू की तरह नाक पे गुस्सा लेके नही चलती वो एकदम शांत बहते पानी की तरह है।आरजू जहा भी कुछ गडबड करे वहा ये सब समेटने के लिए जाती।दोनो की दोस्ती एक नंबर की है।

सो ये दोनो बाहर शहर में हॉस्टल में रहती है और कॉलेज में स्टडी करती है।दोनो बचपन से ही दोस्त है और पड़ोसी है एकदूसरे के।आरजू की सिस्टर मतलब की अपेक्षा दी के मैरेज है तो उसके लिए स्पेशियली वो दोनो मैरेज में आए हुए है अपने गांव और क्यों न आए आरजू के इकलौती बहन जो है।अपेक्षा दी भी उसी शहर में आरजू और शायरी के साथ ही रहते थे हॉस्टल में लेकिन उनकी स्टडी खत्म हो गई थी और वे जॉब करती थे।जहा जॉब करती थी वही वो प्यार की नौका में बैठ गई मतलब की हमारे जीजू कुशल जी के साथ वो प्यार के बंधन में सुख से बैठ गई और उनके मैरेज हे कुछ ही दिनों में।

आरजू का घर भी हम थोड़ा इंट्रो करवा देते है।आरजू का कमरे में उसका स्टडी टेबल था और एक बेड था और सोफा था बैठ ने के लिए और साइड पे बाथरूम था,उसकी बहुत सी तस्वीरे थी और बेड में बाजू में टिपोई थी वहा उसके बनाए स्केचिस थे जो काच के अंदर फिक्स किए गए थे और बाजू में एक गिटार रखा हुआ था।बाहर बालकनी थी और स्टेप्स थे जो सीधे बाहर के गार्डन में जाते थे। और कमरे से बाहर निकलने का दरवाजा था सामने ही एक कमरा था जो अपेक्षा दी का था और दो कमरे गेस्ट रूम थे।और सीडी थी जो नीचे घरमे किचन से लगके होल में आती थी।

लो जी तबतक हमारी आरजू भी आ गई।वो आज चमक रही थी। हा हमेशा से कुछ अलग ही,क्या पता आज कोई खाश मिल जाए। सोरी मजाक कर रहे है लेकिन हो भी सकता है किसे पता!!तो आज आरजू ने आसमानी कलर का सिंपल ड्रेस पहेना था।आधे हाथ तक बाजू थी और राइट हैंड में एक पतली ब्लेक घड़ी पहेनी थी और लेफ्ट हैंड में एक लूस पहेना था सिंपल सा।नीचे वाइट जींस और सिर पर खुल्ले गीले बाल। मेकप के नाम में आंखों में काजल और उसकी मरून कलर की आंखे और मस्तक पे एक छोटी बिंदी।

आरजू नीचे जाती है तो देखती है सभी लोग अपने अपने काम में व्यस्त थे।शादी का घर है क्या कर सकते है।होल में आरजू के पापा दूर से आए महेमानो से बाते कर रहे थे और आरजू के मम्मा किचन में काम कर रही थी बाकी सब पड़ोसी भी थे जो काम में हाथ बटा रहे थे।

आरजू ने उसकी मम्मा से कहा,गुड मॉर्निंग मम्मा,बिल्ली कहा है?

आरजू के मम्मा ने कहा,शायरी बाहर है बेटा काम कर रहे है और हा आप नाश्ता कर लीजिएगा ठीक है और फिर आप दोनो बाजार से थोड़ा सामान ला दीजिएगा।

आरजू ने कहा ठीक है मम्मा हम जाते है,और हा हम बिल्ली के साथ बाजार जाके वापस आके ही नाश्ता करेंगे आप चिंता मत कीजिए।

आरजू के मम्मा ने कहा,लेकिन खा लेते ना बेटा।

आरजू ने थोड़ी शरारत से कहा अरे कोइनी मम्मा हम बाजार में ही खा लेंगे ये ही अच्छा रहेगा।

आरजू के मम्मा कहते है अरे ठीक है फिर आप आके कर लीजिएगा लेकिन बाहर मत खाएगा,ये गांव है बेटा कोई शहर नही है की..

आरजू ने बीच में ही बात काटते हुए कहा ठीक है मम्मा समझ गए हम जाते है।

वैसे हम कह दे की ये भूतनी मतलब शायरी ही है लेकिन जब कोई नही होता तब ही भूतनी कहा जाता है शायरी को लेकिन सबके सामने शायरी को बिल्ली ही कहती है आरजू। और शायरी भी चुड़ेल सबके सामने नही कहती सबके सामने अरु ही कहती है।

आरजू गार्डन में आती है जहा बहुत से काम चल रहे थे और मंडप भी सजाया जा रहा था शायरी एक स्टूल पर चढ़ कर अपने पाव की उंगलियों पर खड़ी हो कर फूल सजा रही थी।वो भी आज कुछ कम नहीं लग रही थी उसने आज रेड कलर का ड्रेस पहन रखा था जो शॉर्ट था और नीचे ब्लेक जींस पहन रखी थी।सिर पर एक चोटी बना रखी थी।और एक बिंदी,आंखों में काजल।वो थोड़ी सी सांवली थी लेकिन एकदम थोड़ी सी।मस्त दिखती है अपनी शायरी भी।आरजू की बहन ही जैसे।

आरजू शायरी के पीठ पीछे खड़ी हो गई और उसकी कमर पे गुदगुदी कर ने लग गई। क्या बिल्ली आप तो बहुत काम करती है चलिए थोड़ा बाजार घूम आते है।

शायरी हस्ते हस्ते कहती है अरे हमे आप छोड़िए तो सही तभी हम चलेंगे न।

आरजू भी हस के उसे छोड़ देती है और दोनो बाजार के लिए रवाना होती है।

वे दोनो अपनी स्कूटी पर जाती है।बाजार में से समान की खरीदी हो जाती है तो वो दोनो अपनी स्कूटी लेने पार्किंग की तरफ जा रहे थे तभी आरजू कहती है चलो ना बिल्ली जाके पानीपुरी खाते है।

तो शायरी कहती है अरे लेकिन आंटी गुस्से होगे।

आरजू कहती अरे यार ऐसे केसे गुस्सा होंगे कुछ नही कहेंगे प्लीज,बिल्ली यार देखिएना हमे बहुत भूख लगी है प्लीज।

तो शायरी कहती है नही हम घर जाते है अभी बहुत काम है।

आरजू कहती है यार प्लीज..............
शायरी भी कहती है नही................

अब आरजू रूक जाती है और जैसे रूठने की एक्टिंग करती हो वैसे कहने के लिए मुंह खोलती ही है की उसे पीछे से कोई टकरा जाता है और वे कोई लड़का थे वो अपने सिर को सहलाते हुए आरजू के सामने आते है और कुछ बोलने को ही होते है लेकीन वो आरजू में जैसे खो ही जाते है लेकीन आरजू बोलना शुरू कर देती है,

ओए मिस्टर,क्या है? देखके नही चल सकते क्या आप?लेकिन नही आपको तो अपने मोबाइल में घुस कर चलना है।कुछ अक्कल वक्कल है या नही आपमें?या फिर आप अपने मोबाइल को ही सब कुछ समझते हो?नही मतलब हम इतने बड़े आपको दिखाई नही देते क्या?हम कहा के मिस्टर इंडिया है की आपको दिखाई तक नहीं देते।

वो सामने वाले मिस्टर भी अब उसकी बातो से गुस्से में आ गए थे, ओय मिस अक्कल आपके पास नही है पहले तो बीच सड़क पर ऐसे अचानक कोन रुक जाता है!और दूसरी बात अगर रूक भी गए तो ऐसे केसे किसी को भी डाटना शुरू कर देते है! कोई कॉमन सेंस नामकी चीज है या नही?और पहले आप रुके तो गलती आपकी है हमारी नही,आप ही जमीन पर पत्थर गिनके चल रहे हे।

वो मिस्टर ने ब्लेक शर्ट और ब्लू पेंट पहन रखा था हां इनफॉर्मल तरीके से पहना था।सिर पर बाल भी कुछ ढंग से नहीं सही किए हुए थे थोड़े बिखरे हुए थे।आंखों की पलके लंबी और हल्के कथ्थई कलर की आंखे,उनकी आंखों में खोने के लिए मजबूर कर रही थी।हाथ में ब्रांडेड वॉच थी।आरजू भी उनकी मदहोश,शांत, कड़क सी आवाज में खो जाती है लेकिन गुस्सा तो था ही इसलिए खुदको संभालते हुए आरजू बोलने के लिए आगे लफ्ज बढ़ाती ही है की तभी,

शायरी बोलती है,सोरी सोरी सर आप जा सकते है।

और वो मिस्टर भी जैसे शांत होते है और कहते है इट्स ओके और उनके फोन में भी किसी का कॉल आता है तो वो उठा के बोलते है, हा बोलिए ध्ये..... और बोलते बोलते चले जाते है।

इस तरफ शायरी आरजू से कहती है,अरे क्या है आपका अरु,जहा देखो वहा शुरू हो जाते हो यार आप,और इतना ज्यादा क्यों डाट दिया,चलिए छोड़िए अब पानीपुरी नही खानी ना?

आरजू शायरी के साथ पार्किंग की तरफ चलते चलते पीछे उस मिस्टर को फिर्शे देखती है और वो मिस्टर की पीठ दिखाई देती थी और वो अभी भी कान के पास फोन रख के बात कर रहे थे आरजू एक पल देखती है और वो मिस्टर भी एक बार पीछे फिर के देखते है और पाते है आरजू भी उनकी तरफ ही देख रही थी दोनो की आंखे एक दूसरे से मिलती है एक पल में ही वे दोनो ने अपनी आंखे फेर ली और इधर उधर देख के सामने देख ने लगे।आखिर गुस्सा भी तो था।

शायरी फिरसे कहती है चले न अब घर?

आरजू छोटा सा जवाब देती है हा और फिर दोनो घर चले जाते है।

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क्रमश

~आरजू